||इतना भी वक़्त कहाँ||
जो मन में आये बोलें हम
अब इतना भी वक़्त कहाँ
जब दिल चाहे तब रो लें हम
अब इतना भी वक़्त कहाँ
जो पीछे था वो छूट गया
दिल टूट गया तो टूट गया
अब इसकी चोटें धो लें हम
अब इतना भी वक़्त कहाँ||
जिसको पढ़ना था पढ़ डाला
किस्सा गढ़ना था गढ़ डाला
फ़िर नयी किताबें खोलें हम
अब इतना भी वक़्त कहाँ
कह लो अब नादानी है
आँसू क्या अब पानी है
पानी में शक्कर घोलें हम
अब इतना भी वक़्त कहाँ
जीवन की एक सीख ही था
वो कह देता तो ठीक ही था
अब उसकी नब्ज़ टटोलें हम
अब इतना भी वक़्त कहाँ||
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