ख्वाब जिन्दगी की
जिन्दगी की अपनी पटरी है, चलती रहती है, कोशिशें कितनी भी करो, तुम इसे मोड़ नहीं सकते हो, कितने ख्वाब टूटे हैं अब तक, याद है तुम्हें? नहीं ना!
जब अकेले होते हो तो सोचते हो कि अगर ऐसा किया होता तो आज ये हुआ होता लेकिन आदत... हाँ आदत से मजबूर हो तुम; कल फिर वही गलती दोहराओगे...
जिन्दगी ने तुम्हें बहुत कुछ सिखाया है लेकिन तुम आज भी नहीं सीख पाये बहते आँसुओं को आँखो में समेट लेना...
जाने वाले तो चले जाते हैं, उस वक्त जब तुम्हें उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तुम कुछ नहीं कर सकते क्यूँकि तुमने यही चुना था, तुम्हें यादों में जीने की आदत है, तुम्हें गीली आँखो से हँसना आता है, तुम रोते हो मगर अकेली रात में बन्द कमरे के कोने की वो सिसकी साला सुनता कौन है? तकिये पर बेरंग सा वो पानी जो सूख गया उसे किसी ने नहीं देखा...
हाँ तुमने चुना था यह सब!
तुम्हें आदत है, दर्द में मुस्कुराने की, जिन्दगी ने तुम्हें बहुत कुछ सिखाया पर तुम नहीं सीख पाये तो गुजरे लम्हों की याद आने पर मुस्कुराना, तुम रोना चाहते हो गला फाड़ कर लेकिन तुम बड़े हो गये, तुम लौंडे हो बे!
तुम सिर्फ दिल से रो सकते हो और दिल में ही चीख सकते हो, किसी को खबर ना हो क्योंकि जवानी की दहलीज पर किसी ने कहा था; "पगले लौंडे रोते नहीं हैं"!
हाँ, तुम्हारी आदत है, हाँ तुमने यही चुना था !
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